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गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

हिन्दी पद्य साहित्य का इतिहास

 


आचार्य रामचन्द्र शुक्ल हिन्दी साहित्य के इतिहास कारो के मध्य चमकते हुए एक ऐसे 'ध्रुवतारा' है, जिनके विचारो की आभा कभी मलिन नहीं हो सकती। उनका दिव्य लेखन (हिन्दी साहित्य का इतिहास) आज भी मील का पत्थर सिध्द होता है। हिन्दी साहित्य का इतिहास  महान लेखक रामचन्द्र  शुक्ल  द्वारा लिखा गया हैं।


हिन्दी पद्य साहित्य के इतिहास में लगभग 1000 वर्षो के  इतिहास को चार चरणों में  विभाजित किया गया है।

❄️ आदिकाल (वीरगाथा काल)  [993 - 1318]
❄️ भक्तिकाल (पूर्व मध्यकाल)  [1318 - 1643]
❄️ रीतिकाल  (उत्तर मध्यकाल) [1643- 1843]
❄️ आधुनिक काल (वर्तमानकाल) [1843 - आज तक]

आदिकाल की प्रमुख विशेषताऐ  कुछ इस प्रकार हैं।
❄️ आश्रयदाताओ की प्रशंसा 
❄️ सामूहिक राष्ट्रियता की भावना
❄️ युध्दो का सुंदर और सजीव वर्णन 
❄️ वीर रस के साथ श्रृंगार रस की प्रधानता
❄️ ऐतिहासिक वृत्तो में कल्पना का प्राचुर्य (अधिकता)

✏️  प्रबंध  काव्य  और  गीत  काव्य  वीरगाथा  काल  की  रचनाओं  की  विशेषताऐं  हैं।

आदिकाल को पांच भागो में बाँटा गया हैं।
❄️ सिध्द साहित्य
❄️ जैन साहित्य 
❄️ रासो साहित्य 
❄️ नाथ साहित्य 
❄️ लौकिक साहित्य

✏️ सिध्द साहित्य के प्रथम कवि सरहप्पा थे। जो बौध्द धर्म का प्रचार - प्रसार करते थे।
✏️ नाथ साहित्य के प्रवर्तक श्री- गोरखनाथ थे।
✏️ वीर और श्रृंगार रस वीरगाथा काल के प्रमुख रस है।

काव्य को दो भागो मे बाँटा गया है।
❄️ श्रव्य काव्य
❄️ दृश्य काव्य 

श्रव्य काव्य को दो भागो मे बाँटा गया है।
❄️ गद्य 
❄️ पद्य 

प्रबंध काव्य को दो भागो मे बाँटा गया है।
❄️ महाकाव्य 
❄️ खंडकाव्य

              भक्ति काल (पूर्व मध्यकाल )
भक्तिकाल को दो भागो में बाँटा गया हैं ।
❄️ सगुण भक्ति शाखा
❄️ निर्गुण भक्ति शाखा
1):- सगुण भक्ति शाखा के भेद
❄️ रामाश्रयी शाखा
❄️ कृष्णाश्रयी शाखा
2):- निर्गुण भक्ति शाखा के भेद
❄️ ज्ञानाश्रयी शाखा
❄️ प्रेमाश्रयी शाखा

भक्तिकाल की प्रमुख विशेषताऐ :-
❄️ एकेश्वरवाद 
❄️ गुरू की महिमा का बखान 
❄️ वह्य- आडंबरों का विरोध
❄️ सत्संगति की भावना
❄️ ज्ञान और प्रेम का महत्व

ज्ञानाश्रयी शाखा की प्रमुख विशेषताऐ :-
❄️ निर्गुण बह्म की उपासना 
❄️ अवतारवाद का खंडन
❄️ भगवान के नाम स्मरण तथा भजन पर बल
❄️ आंतरिक शुध्दि एंव प्रेम साधना पर बल 

प्रेमाश्रयी शाखा की प्रमुख विशेषताऐ :-
❄️ सूफी सिध्दांतो का निरूपड।
❄️ पूर्वी अवधी भाषा तथा दोहा,चौपाई ,छंदों का प्रयोग ।

कृष्णाश्रयी शाखा की प्रमुख विशेषताऐ :-
❄️ श्रीमद् भागवत गीता का आधार
❄️ सख्य, वात्सल्य एंव मधुर भाव की उपासना 
❄️ ब्रजभाषा मे मुक्तक काव्य शैली की प्रधानता, जिसमें अद्भुत संगीतात्मकता का गुण विद्यमान हैं।

रामाश्रयी शाखा की प्रमुख विशेषताऐ :- 
❄️ लोकहित की भावना के कारण मर्यादा की प्रबल भावना 
❄️ अवधी और ब्रजभाषा मे रचना
❄️ प्रबंध और मुक्तक काव्य शैलियो का प्रयोग
❄️ दास्य भाव की भावना 
                 
   संतकाव्य धारा के प्रमुख कवि :-
1):- कबीर 
2):- नानकदेव 
3):- रैदास आदि 

सगुण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि :-
1):- सूरदास 
2):- मीराबाई
3):- तुलसीदास 
4):- केशवदास आदि।

निर्गुण भक्ति शाखा के प्रमुख कवि:-
1):- कबीरदास
2):- मलिक मोहम्मद जाएसी 
3):- मंझन
4):- कुतुबन आदि।

ब्रजभाषा तथा अवधी भाषा के मध्यकालीन महाकाव्य :-
❄️ सूरदास (कवि) - सूरसागर (ब्रजभाषा)
❄️ तुलसीदास (कवि)- रामचरितमानस (अवधी)

अष्टछाप के प्रमुख कवि :-
1):- सूरदास 
2):- कुंभनदास
3):- परमानंददास
4):- कृष्णदास
5):- छीतस्वामी
6):- गोविंददास
7):- चतुरभुजदास
8):- नंददास
अष्टछाप के कवि ही कृष्ण काव्य धारा के प्रमुख कवि थे। महाप्रभु वल्भाचार्य जी के चार शिष्यो एंव अपने चार शिष्यो को मिलाकर वल्भाचार्य के सुपुत्र गोसाई विट्ठलनाथ जी ने अष्टछाप की स्थापना की।

             रीतिकाल( उत्तर मध्यकाल )
रीतिकाल को दो भागो में बाँटा गया हैं।
❄️ रीतिबध्द 
❄️ रीतिमुक्त

रीतिबध्द और रीतिमुक्त कविता का अंतर स्पष्ट कीजिए।
❄️ रीतिबध्द काव्य के अंतर्गत वे ग्रंथ आते हैं जिनमें काव्य तत्वो के लक्षण देकर उदाहरण के रूप में काव्य रचनायें की जाती है ।
❄️ जबकि रीतिमुक्त काव्यधारा की रचनाओं में रीति परंपरा के साहित्य बंधनों एंव रूढियो से मुक्त स्वछंद रचनायें की जाती हैं ।

रीतिमुक्त के प्रमुख कवि = घनानन्द
रीतिबध्द के प्रमुख कवि = आचार्य चिंतामणि

रीतिकाल की प्रमुख विशेषताऐ :-
❄️ राज्ञाश्रयी कवियो द्वारा लक्षण लक्ष्य पद्दति पर काव्य रचना की गई
❄️ श्रृंगार रस की प्रधानता एंव वीर रस का ओजस्वी वर्णन
❄️ मुख्यता मुक्तक शैली एंव ब्रजभाषा का प्रयोग
❄️ कला पक्ष परयुग

रीतिबध्द काव्य के प्रमुख कवि :-
1):- आचार्य चिंतामणि 
2):- केशवदास
3):- मतिराम
4):- महाकवि भूषण

रीतिमुक्त काव्य के प्रमुख कवि :-
1):- घनानन्द
2):- ठाकुर 
3):- बोधा
4):- आलम 

रीतिकाल की रचना के प्रमुख छंद :-
❄️ कवित्त
❄️ सवैया

            आधुनिक काल (वर्तमानकाल)
आधुनिक काल को चार भागो में बाँटा गया हैं ।
❄️ भारतेन्दु युग (पुनर्जागरण काल)= [1857- 1900 ई०]
❄️ दिवेदी युग (जागरण काल)= [1900- 1922 ई०]
❄️ छायावादी युग =[1919- 1938 ई०]
❄️ छायावादोत्तर युग = [1938- अब तक]

छायावादोत्तर युग को दो भागो में बाँटा गया हैं ।
1):- प्रगतिवादी और प्रयोगवादी युग = [1938- 1943ई०]
2):- नयी कविता का युग = [1943- अब तक]

भारतेन्दु युग के कवि तथा उनकी रचनाऐ :-         
1):- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (कवि)- कवि वचन सुधा, प्रेम सरोवर , प्रेम तरंग, प्रेम माधुरी 
2):- बद्रीनारायण चौधरी - वर्षाबिंदु
3):- अंबिकादत्त व्यास - पावस - पचासा
4):- श्रीधरपाठक - वनाष्टक

दिवेदी युग के कवि तथा उनकी रचनाऐ :-
1):- मैथिलीशरण गुप्त - साकेत ,यशोधरा
2):- अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध ' - प्रिय-प्रवास
3):- सियाराम शरण गुप्त - अनाथ

छायावादी युग के कवि तथा उनकी रचनाऐ :-
1):- जयशंकर प्रसाद - कामायनी 
2):- सुमित्रानन्दन पंत- पल्लव, ग्राम्या
3):- सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'- परिमल, गीतिका
4):- महादेवी वर्मा - दीपशिखा, सांध्यगीत

छायावादी युग की प्रमुख विशेषताऐ :-
❄️ सौंदर्य और प्रेम का काव्य
❄️ राष्ट्रियता की भावना
❄️ प्रकृति का मानवीकरण

छायावादी युग के रहस्यवाद कवि और उनकी रचनाऐ:-
1):- सुमित्रानन्दन पंत - पल्लव (रचना)
2):- महादेवी वर्मा - दीपशिखा (रचना)

प्रगतिवादी कवि तथा उनकी रचनाऐ:-
1):- रामधारी सिंह 'दिनकर' - उर्वशी
2):- शिवमंगल सिंह 'सुमन'- विंध्यहिमाचल से

प्रयोगवादी युग का नेतृत्व करने वाले प्रमुख कवि तथा उनकी प्रमुख रचनाऐ :-
❄️ सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन 'अज्ञेय'
रचनाऐ = कितनी नावो मे कितनी बार ,तारसप्तक (मैगजीन)।

प्रयोगवादी युग के कवि तथा उनकी रचनाऐ :-
1):- सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन 'अज्ञेय'
2):- गजानंद माधव
3):- मुक्तिबोध
4):- गिरिजाकुमार माथुर
5):- प्रभाकर माचवे
6):- नैमिचन्द्र जैन
7):- भारत भूषण
8):- रोमविलास शर्मा
सच्चिदानंद हीरानंद वात्सायन 'अज्ञेय' ने इन सात कवियो की कविताओ का संलकन करके 'तारसप्तक' (1943) का प्रकाशन किया।

नयी कविता का समय (अकविता )
नयी कविता के समय को अकविता भी कहा जाता है इसका आरंभ सन् (1954) मे जगदीश गुप्त और डा० रामस्वरूप चतुर्वेदी के संपादन मे नयी कविता के प्रकाशन से हुआ। यह कविता किसी वाद से बंध कर नही चलती।

नयी कविता के प्रमुख कवि तथा उनकी रचनाऐ :-
1):- केदारनाथ अग्रवाल - युग की गंगा
2):- भवानी प्रसाद मिश्र - बूंद एक टपकी
3):- धर्मवीर भारती- कनुप्रिया, ठंडा लोहा, गुनाहों का देवता , सूरज का सातवाॅ घोड़ा 
4):- लक्ष्मीकांत 'वर्मा' - नीम के फूल , सफेद चेहरे 
5):- जगदीश गुप्त - युग्म, बोधिवृक्ष
6):- डा० रामस्वरूप चतुर्वेदी - भाषा और संवेदना 
7):- सर्वेश्वर दयाल सक्सेना - कांठ की घंटिया, बांस का पुल 

कहानी - नारी महान है।

  कहानी - नारी महान है। बहुत समय पहले की बात है। चांदनीपुर नामक गांव में एक मोहिनी नाम की छोटी सी लड़की रहा करती थी। उसकी माता एक घर मे नौक...